Wednesday, August 10, 2011

HAPPY RAKSHA BANDHAN FOR INDIA PEOPLE


रक्षाबंधन 2011, 13 अगस्त
Rakshabandhan 2011, 13 August

rakshabandhanka2रक्षा बंधन का पर्व एक ऎसा पर्व है, जो धर्म और वर्ग के भेद से परे भाई - बहन के स्नेह की अट्टू डोर का प्रतीक है. बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से दोनों के मध्य विश्वास और प्रेम का जो रिश्ता बनता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है. रक्षा बंधन की पर्व का सबसे खूबसूरत पहलू यही है कि यह पर्व धर्म ओर जाति के बंधनों को नहीं मानता. अपने इसी गुण के कारण आज इस पर्व की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है.

जब भी कोई कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृ्द्धि होती है. भाई- बहन के रिश्ते को अटूट बनाने के लिये इस राखी बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त समय में करना चाहिए.

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
Auspicious Muhurta for Rakshabandhan

रक्षा- बंधन का पावन पर्व भद्रा रहित समय में मनाना शुभ रहता है. 13 अगस्त, 2011, शनिवार के दिन दोपहर का समय राखी बांधने के लिये समय शुभ रहेगा. इस दिन भद्रा का समय 12:07 मिनट तक रहेगा. इसलिये भद्रा के समाप्त होने के बाद राखी बांधी जा सकती है. शुभ समय 12:07 से शुरु होकर 13:50 मिनट तक रहेगा.

सामान्यत: उतरी भारत जिसमें पंजाब, दिल्ली, हरियाणा आदि में प्रात: काल में ही राखी बांधने का शुभ कार्य किया जाता है. परम्परा वश अगर किसी व्यक्ति को परिस्थितिवश भद्रा-काल में ही रक्षा बंधन का कार्य करना हों, तो भद्रा मुख को छोड्कर भद्रा-पुच्छ काल में रक्षा - बंधन का कार्य करना शुभ रहता है. शास्त्रों के अनुसार में भद्रा के पुच्छ काल में कार्य करने से कार्यसिद्धि और विजय प्राप्त होती है. परन्तु भद्रा के पुच्छ काल समय का प्रयोग शुभ कार्यों के के लिये विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए.

भद्रा काल विचार 

Bhadra Kal
13 अगस्त 2011 के दिन भद्रा सुबह 12:07 मिनट तक रहेगी. इस दिन इस अवधि से पूर्व बहनों का भाईयों को राखी बांधना उचित नहीं रहेगा.

भद्रा-मुख काल
Bhadra-Mukh Kal

13 अगस्त, 2011 के दिन भद्रामुख काल 08:59 से लेकर 11:04 मिनट तक रहेगा. अत: इस भद्रा मुख काल का त्याग करना चाहिए. भद्रा का पुच्छ काल 13 अगस्त, 2011 के दिन 07:44 से लेकर 08:59 तक रहेगा. इस अवधि में यह कार्य किया जा सकता है.

बहन के प्रति भाईयों के दायित्वों का बोध कराने का पर्व
Festival of Auspicious Realationship of Sister and Brother

वेद शास्त्रों के अनुसार रक्षिका को आज के आधुनिक समय में राखी के नाम से जाना जाता है. रक्षा सूत्र को सामान्य बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है. इसका अर्थ रक्षा करना, रक्षा को तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देने से है.

श्रावण मास की पूर्णिमा का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि इस दिन पाप पर पुण्य, कुकर्म पर सत्कर्म और कष्टों के उपर सज्जनों का विजय हासिल करने के प्रयासों का आरंभ हो जाता है। जो व्यक्ति अपने शत्रुओं या प्रतियोगियों को परास्त करना चाहता है उसे इस दिन वरूण देव की पूजा करनी चाहिए.

दक्षिण भारत में इस दिन न केवल हिन्दू वरन् मुसलमान, सिक्ख और ईसाई सभी समुद्र तट पर नारियल और पुष्प चढ़ाना शुभ समझा जाता है नारियल को भगवान शिव का रुप माना गया है, नारियल में तीन आंखे होती है. तथा भगवान शिव की भी तीन आंखे है.

धागे से जुडे अन्य संस्कार
Other Sanskaras Related to Thread

हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा कार्य में हाथ में कलावा ( धागा ) बांधने का विधान है. यह धागा व्यक्ति के उपनयन संस्कार से लेकर उसके अन्तिम संस्कार तक सभी संस्करों में बांधा जाता है. राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है. स्नेह व विश्वास की डोर है. धागे से संपादित होने वाले संस्कारों में उपनयन संस्कार, विवाह और रक्षा बंधन प्रमुख है।

पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद के वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। आंवले के पेड़ पर धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण होगा।

वह भाइयों को इतनी शक्ति देता है कि वह अपनी बहन की रक्षा करने में समर्थ हो सके। श्रवण का प्रतीक राखी का यह त्यौहार धीरे-धीरे राजस्थान के अलावा अन्य कई प्रदेशों में भी प्रचलित हुआ और सोन, सोना अथवा सरमन नाम से जाना गया.

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